
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों में अगर कभी युद्ध की स्थिति आती है, तो “कराची पोर्ट ब्लॉकेज” भारत के लिए सबसे बड़ा रणनीतिक हथियार बन सकता है। यह वही रणनीति है जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ दी थी।
तो सवाल यह है — क्या आज के हालात में कराची पोर्ट को ब्लॉक करना भारत के लिए फायदेमंद रणनीति है? और क्या इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति तबाह हो सकती है?
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कराची पोर्ट पाकिस्तान की ‘लाइफलाइन’?
कराची पोर्ट पाकिस्तान के 90% से ज़्यादा समुद्री व्यापार को संभालता है।
पाकिस्तान के अधिकांश तेल आयात, अनाज, कंटेनर और निर्यात इसी पोर्ट से होते हैं।
यह पोर्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का भी अहम हिस्सा है।
सीधे शब्दों में कहें तो कराची पोर्ट ब्लॉक मतलब पाकिस्तान की सांसें रोक देना।
भारत के लिए फायदेमंद कैसे?
आर्थिक दबाव से पाकिस्तान को झुकाना
कराची पोर्ट बंद करने से पाकिस्तान की विदेशी व्यापार आपूर्ति शृंखला ध्वस्त हो जाएगी। यह उसकी डॉलर में होने वाली कमाई को ठप कर देगा।
तेल और खाद्य संकट
पाकिस्तान अपनी 90% तेल ज़रूरतें आयात करता है। अगर पोर्ट बंद हो गया, तो ईंधन, गैस, दवाएं और खाद्यान्न की किल्लत पैदा हो जाएगी — यानी भीतर से अस्थिरता।
चीन पर दबाव
CPEC के तहत कराची पोर्ट से जुड़े व्यापार पर असर होगा, जिससे चीन की रणनीतिक दिलचस्पी को झटका लगेगा।
पाकिस्तान के लिए कितना नुकसानदेह?
आर्थिक तबाही
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार पहले ही संकट में है।
अगर उसका सबसे बड़ा बंदरगाह ठप हो जाए, तो रुपया डॉलर के मुकाबले औंधे मुंह गिरेगा।

खाद्य और ईंधन संकट
पेट्रोल-डीजल, दवाएं, अनाज — सब की कमी हो जाएगी।
आम जनता पर सीधा असर, आंदोलन और अराजकता तक की नौबत।
राजनीतिक अस्थिरता
सरकार पर जनदबाव बढ़ेगा।
सेना और सिविल प्रशासन के बीच तनाव गहराएगा।
आंतरिक विद्रोह या सत्ता परिवर्तन तक संभव।
क्या भारत ऐसा कर सकता है?
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून (UNCLOS) के अनुसार युद्ध की स्थिति में नौसैनिक नाकेबंदी (Naval Blockade) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
भारत की नौसेना के पास INS Vikrant, Scorpene-class पनडुब्बियाँ, मिसाइल युक्त युद्धपोतों के जरिए यह क्षमता है कि वह अरब सागर में कराची पोर्ट को पूरी तरह ब्लॉक कर दे।
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कराची पोर्ट को ब्लॉक करना युद्ध का एलान ज़रूर हो सकता है, लेकिन उससे पहले यह एक कूटनीतिक हथियार भी हो सकता है। इसकी सिर्फ धमकी ही पाकिस्तान को संबल और संयम अपनाने पर मजबूर कर सकती है।
भारत के पास रणनीतिक, सामरिक और भू-राजनीतिक तीनों आधार हैं इस कार्ड को खेलने के लिए — अब ये वक्त बताएगा कि ये ब्लैकमेलिंग बनेगा या ब्लास्ट।